यूपी में SIR के ऐलान से पंचायत चुनाव पर पड़ेगा असर! अप्रैल में ही शुरू हो पाएगी प्रक्रिया?
UP Panchayat Elections 2026
UP Panchayat Elections 2026: ग्रामीण भारत के दिल यानी उत्तर प्रदेश में आगामी पंचायत चुनावों को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है. भारत निर्वाचन आयोग (ECI) की ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन’ (SIR) प्रक्रिया, जो विधानसभा और लोकसभा चुनावों की मतदाता सूचियों को अपडेट करने के लिए चल रही है, इसका पंचायत चुनावों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. यह फैसला पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत बनाने और ग्रामीण स्तर पर लोकतंत्र को बिना किसी बाधा के आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की अगुवाई वाली ECI की हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह स्पष्ट किया गया कि यूपी समेत 12 राज्यों में SIR का दायरा केवल राज्य विधानसभा और संसदीय चुनावों तक सीमित रहेगा. पंचायत चुनावों के लिए मतदाता सूचियां अलग-अलग रखी गई हैं. ताकि स्थानीय निकायों के चुनाव सुचारू रूप से हो सकें. ECI के अधिकारियों ने बताया कि पंचायत चुनावों में बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) का उपयोग अलग होगा, जिससे SIR की वजह से कोई ओवरलैप या देरी न हो. यह निर्णय ग्रामीण मतदाताओं के हित में है क्योंकि इससे पंचायत चुनाव समय पर कराने में आसानी होगी.
राज्य निर्वाचन आयोग और पंचायती राज राज्य निर्वाचन आयोग में अंतर?
लोगों के बीच अक्सर भ्रम रहता है कि राज्य निर्वाचन आयोग और पंचायती राज राज्य निर्वाचन आयोग में क्या फर्क है. आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं. राज्य निर्वाचन आयोग देश के संविधान के अनुच्छेद 243K के तहत गठित है. इसका गठन राज्यपाल करता है. इसका काम पंचायतों (ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायत) और नगर निकायों (नगर पालिका, नगर परिषद, नगर निगम) के चुनाव कराना है.
पंचायती राज राज्य निर्वाचन आयोग अलग संस्था नहीं है. ये राज्य निर्वाचन आयोग का ही हिस्सा है जो पंचायत स्तर के चुनावों से संबंधित है. पंचायती राज राज्य निर्वाचन आयोग का इस्तेमाल तब होता है जब ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद के चुनावों की बात होती है. जबकि राज्य निर्वाचन आयोग शब्द में पंचायतों के साथ-साथ नगर निकायों के चुनाव भी शामिल होते हैं.
देश के निर्वाचन आयोग का काम
वहीं देश का निर्वाचन आयोग लोकसभा, विधानसभा, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव कराता है. संविधान के अनुच्छेद 243K में कहा गया है: पंचायत के सभी चुनावों के लिए मतदाता सूची तैयार करने और उनके संचालन का अधीक्षण निर्देशन और नियंत्रण राज्य निर्वाचन आयोग में निहित होगा, जिसमें राज्यपाल द्वारा नियुक्त एक राज्य निर्वाचन आयुक्त होगा. उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग का गठन राज्य सरकार द्वारा पहली बार 23 अप्रैल 1994 को किया गया था.